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एक कहानी जो उनको सुनानी थी

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यह इक कहानी हैं, जो उनको सुनानी थी
हयात (life) की अजीब रानाई (beauty )हैं , जो उनको सुनानी थी

इक ख्वाब (dream ) था मेरा और वो ही इक ताबीर ( meaning of dream)थी
कुछ दबे जिक्र(secret ) लबों (lips) पे , जो उनको सुनानी थी

बेचैन रूह( soul) था मेरा और दीदार ( to see) सुकून (peace)थी
कुछ कहता धड़कन मुझ्से, जो उनको सुनानी थी

मदहोश (intoxicated) होते थे हम, निगाह (eyes) मधुशाला (liquor shop) थी
कुछ तारीफ़ मे लिखे हुवे शेर जो उनको सुनानी थी

रुत (season) थी वो सावन (rainy) की, और सावन की पहली बारिश थी
बारिश के हर एक बूद पर उसकी ही तो आहट ( feel) थी

नजाने भीगी हातो केसे लिख्खा हाल-ए- दिल( condition of heart)
कागज़ की कस्ती (boat) मे भेजी इज़हार-ए-मोहबत (confession of love)थी

क्या कहूं जो ख्वाब था मेरा, वो ही हकीक़त हुई
ज़िंदगी कितनी सादाब (complete ) हुई, जो उनको सुनानी थी

धूप मे छाव देती घनेरी जुल्फ़ थी,
हजारों सपनों को पनाह देती निगाह थी

पता नहीं क्या था उसकी आंचल तले
रूह को अजीब सुकुन देती मौजूदगी थी

एक पल मे दुख दर्द भूलादे येसी तबस्सुम (smile) थी
रुबरु ( face to face) हो या ना हो पर करीब हमेशा रेहेती थी

खालीपन जो पास आए तो सीने मे भर लेती थी
बिछड़ने की बात पर ऊंगली से होठ को सील देती थी

तिरंगी (dark) रातो मे रूख़ की नूर कित्तनी प्यारी थी
सर रखके सोते थे हम बाहों की तकिया कित्तनी प्यारी थी

वो प्यार से भी प्यारी थी, वो जान से भी प्यारी थी
क्या कहूं मैं इसे ज्यादा, वो इबादत ( prayer ) से भी प्यारी थी

हम झुक झुक के सजदे ( workship) कर्ते थे
हम चुन चुन के कली ( flower) लाया कर्ते थे
हम छुप छुपके मिला कर्ते थे
हम रुक रूक के चला कर्ते थे

दुवा (wish) यहाँ कित्नो की कबूल ( achieve) होती है
वक्त (time) की अक्सर बदल्ने की आदत (habit) होती है
बस्ल ( meet) की पुल नाजाने कब हिज्र (separation) की दीवार बनी
तोड़ना चाहा दीवार को पर दिल के हजार टुक्रे हुए

तेरे इस फैसले से पहेले
तेरी रूह भी तुझ्से खफा होगा
तेरी दिल भी तुझ्से जुदा होगा

तू देखना सकी मगर
फूलों (flower ) के हर एक कबाये (patels) ने तेरी हाथ तो थामा होगा
खत की हर एक सतर (lines of letter) उबर (coming out) के तेरी रास्ता तो रोका होगा
तू सुन नहीं सकी मगर
मेरे यादों ने तुझे पुकारा तो होगा
दबे (soft) आवाज(voice) मे ही सही तेरी नाम तो लिया होगा

मेरे साथ नही हे तू, हां कुछ खाली तो लग्ती हे
पर तेरे पास नहीं हूं मे, यह बात अकसर ही मुझे खल्ती हे
कहीं भी किसी भी ज़िक्र आए तो उसकी
कोही उसे बता देना इक काहानी हैं
जो उनको सुनानी हे जो सिर्फ उनको सुनानी हे

By Monsoon Upreti (BBA-IT, 2023-27)

CURSOR 5.0 | VOLUME 6 ISSUE 1 JANUARY 2024

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